सोमवार, 17 जून 2013

जीवन : Life : कविता वाचक्नवी

जीवन : कविता वाचक्नवी


जीवन तो
यों
स्वप्न नहीं है
आँख मुँदी औ’ खुली
चुक गया।


                     यह तपते अंगारों पर
                     नंगे पाँवों
                     हँस-हँस चलने 
                     बार-बार
                     प्रतिपल जलने का
                     नट-नर्तन है।


Life : by Kavita Vachaknavee

Translation : by Parul Rastogi

Life
Though
Not a dream
That
Washes away
With
Blink of eyes
But;
An act
To walk alone
On smouldering coals
Bare feet
Each second in deep pain
Still smile on curving lips
Life is nothing
But an acrobat's show....


2 टिप्‍पणियां:

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