शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

बधाइयाँ


बधाइयाँ





आज दोपहर हम "सत्यार्थ प्रकाश" केस दिल्ली हाईकोर्ट में जीत गए ।

आर्य जनता को बधाइयाँ।

विस्तृत जानकारी शीघ्र ही ....

बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

वर्षगांठ ..भेज रही हूँ नेह निमंत्रण


वर्षगांठ ..भेज रही हूँ नेह निमंत्रण

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हिन्दी भारत समूह को आरम्भ हुए आज २३ अक्तूब को पूरा एक वर्ष हो गया । इसके इस कार्यकाल को समूह के साथियों की उपस्थिति ने अत्यन्त जीवन्त व प्राणवान् बनाए रखा है।

मैं एक वर्ष के अतीत में आज देखती हूँ तो वे कुछ दिन स्मरण हो आते हैं जब इसके गठन के लिए मूल चिन्ताओं से व्यग्र हो यह प्रयास आरम्भ किया था। भविष्य में देखती हूँ तो आने वाले समय के लिए बहुत -सी सुखद कल्पनाओं से भर जाती हूँ। किसी भी संस्था अथवा संगठन का अस्तित्व उसके बने रहने मात्र में नहीं निहित होता अपितु प्रकारान्तर में उसके मन्तव्यों के सफलीभूत होने में निहित रहता है। जैसे जैसे सामूहिक चिन्ताओं पर सामूहिक सम्वाद की स्थितियाँ बनती हैं तैसे तैसे उनके निराकरण की दिशाएँ व मार्ग भी प्रशस्त होने की सम्भावनाएँ प्रबल होती चली जाती हैं। यों होना तो उस से अधिक चाहिए, अपेक्षित भी होता है किन्तु यही क्या कम हर्ष का विषय है कि किसी मुद्दे को लेकर कम से कम देश दुनिया में रहने वाले कुछ मुट्ठीभर लोग तो एकत्र हुए! बस, इसी सामूहिकता के बूते बड़ी बड़ी सुलझनें भी पा ही ली जा सकती हैं; आशा बल देती है.

अस्तु!
इस प्रथम वर्षगाँठ को वार्षिक अधिवेशन के रूप में २५ अक्टूबर, शनिवार को नेट पर एक सामूहिक चर्चा के माध्यम से सम्पन्न करने का विचार बन रहा है। यदि आप में से कोई नया विचार सु्झाएँ तो उसका भी स्वागत है। इसे भारतीय समय से रात्रि बजे व यूके (लंदन समय) .३० बजे दोपहर को आरम्भ करने की योजना है ; लगभग दो घंटे का कार्यक्रम रहेगा । इसे याहू के मैसेंजर के माध्यम से चित्र व ध्वनि-कॊन्फ़्रेन्सिंग के रूप में सम्पन्न किया जाएगा । जिसमें एक हेडफ़ोन ( माईक सहित) की आवश्यकता होगी। परिचर्चा को सम्बोधित करने के लिए ३-४ वक्ताओं की अभी योजना है, जो १५1 मिनट हमें सम्बोधित करेंगे। शेष एक घंटा हम परस्पर सम्वाद का सुख लेंगे। (- यह अभी तक ऐसी इच्छा है।) आप सभी किसी भी प्रकार का सुझाव देना चाहें तो स्वागत है। तुरत प्रतिक्रियाओं की अपेक्षा है। नेट पर भाषा, संस्कृति, सामाजिक प्रश्न व साहित्य आदि में रुचि रखने वालों से निवेदन है की अपनी उपस्थिति से इसे सफल व सार्थक बनाएँ | इसा खुले मंच पर सभी का स्वागत कर हर्ष होगा |

इसके तकनीकी पक्ष के लिए नीचे दी गई जानकारी देखें -
विस्तृत जानकारी


सामूहिक चर्चा में भाग लेने के लिये :
  1. आप को याहू id और याहू मेसेन्जर सौफ़्ट्वेयर की ज़रूरत होगी । यदि आप के पास याहू id नहीं है तो एक नया id बनायें । याहू मेसेन्ज़र सौफ़्ट्वेयर यहाँ उपलब्ध है , download करें और स्थापित करें http://messenger.yahoo.com/
  2. याहू मेसेन्ज़र पर logon करें (याहू id का प्रयोग करते हुए).
  3. याहू मेसेन्ज़र में Contacts और फ़िर Add a Contact पर click करें | email address की जगह bharathindi@yahoo.co.uk टाइप करें और next पर Click करें । एक बार फ़िर next पर Click करें और फ़िर finish पर ।
  4. निर्धारित समय (भारतीय समय रात बजे, न्यूयार्क समय सुबह ११:३० बजे लन्दन समय दोपहर .३० बजे) याहू मेसेन्ज़र पर logon करें । आप को एक Conference Call में शामिल होने का निमंत्रण मिलेगा , उसे स्वीकार करें ।
  5. Chat Window में आवाज के लिये Call और यदि आप के पास web camera है तो webcam पर Click करें ।
  6. आप को आवाज़ सुनने के लिये speakers और बोलने के लिये Microphone की ज़रूरत होगी । यदि आप के पास headphone है तो वह speaker और Microphone दोनों का काम कर सकते हैं। यदि आप के पास web camera है तो और लोग आप को देख सकेंगें ।
  7. पूर्व में इस तरह के प्रयोग में देखा गया था कि यदि आप के पास Vista Operating Systsem है तो आप को शायद Conference call में न जोड़ा जा सके ।
  8. वार्ता शनिवार को करना तय हुआ है । इस की तैयारी के लिये शुक्रवार को ठीक उसी समय एक प्रयोग किया जा सकता है ।
  9. यदि आप के पास कोई प्रश्न हो तो इस ब्लॉग पर टिप्पणी के रूप में लिखें। यदि अपना ईमेल यहाँ न देना चाहें तो आपको उत्तर भी यहीं प्राप्त होगा ।
  10. जो इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं, वे Yahoo Messenger पर जा कर bharathindi@yahoo.co.uk को अपने Contacts में जोड़े या bharathindi@yahoo.co.uk पर एक पत्र भेजें ।

- आप सभी की उपस्थिति प्रार्थित है |




सोमवार, 20 अक्तूबर 2008

प्रतिष्ठित ‘केदार-सम्मान-समारोह’ सम्पन्न

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प्रतिष्ठित ‘केदार-सम्मान-समारोह’ सम्पन्न













प्रगतिशील हिन्दी कविता के शीर्षस्थ कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में दिया जानेवाला चर्चित 'केदार सम्मान- २००७' २७ सितम्बर २००८ को बान्दा नगर के आर्य कन्या इन्टर कॊलेज के हॊल में समकालीन हिन्दी कविता की चर्चित कवयित्री अनामिका को उनके कविता संकलन "खुरदुरी हथेलियाँ" के लिए, प्रख्यात आलोचक डॉ0 पाण्डेय के हाथों प्रदान किया गया।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ0 पाण्डेय ने कहा " खुरदुरी हथेलियाँ" की कविताओं में भारतीय समाज एवम् जनजीवन में जो हो रहा है और होने की प्रक्रिया में जो कुछ खो रहा है उसकी प्रभावी पहचान और अभिव्यक्ति है। अनामिका की कविता में सामान्य जन के जीवन और उनके दु:ख-सुख को दर्ज करने की भावना प्रबल है, इसलिए केदारनाथ अग्रवाल के वैचारिक मूल्यों के बहुत करीब हैं। मैनेजर पान्डेय के अतिरिक्त जितेन्द्र श्रीवास्तव व पत्रकार अंजना बख्शी ने भी अनामिका को सम्मान हेतु शुभकामनाएँ दीं।

सम्मान ग्रहण करते हुए अनामिका ने कहा कि यह क्षण मुझे अभिभूत कर रहा है। केदारनाथ अग्रवाल को याद करते हुए अनामिका ने कहा - वे सहज जीवन और सहज कविता के अद्भुत चितेरे कवि थे।

केदार सम्मान के इसी क्रम में डॉ0 मैनेजर पाण्डेय द्वारा युवा आलोचक जितेन्द्र श्रीवास्तव को 'डॊ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान' से सम्मानित किया। इस अवसर पर जितेन्द्र श्रीवास्तव को बधाई देते हुए डॊ. रघुवंशमणि त्रिपाठी ने कहा कि जितेन्द्र श्रीवास्तव ने स्त्री, दलित, साम्प्रदायिकता और किसान समस्या से जुड़े मुद्दों के परिप्रेक्ष्य में प्रेमचन्द के लेखन को देखने का नूतन प्रयास किया है, यह आकलन इन्होंने ऐसे समय में प्रस्तुत किया जब प्रेमचन्द को स्त्रीविरोधी बताया जा रहा है।जितेन्द श्रीवास्तव ने समकालीन हिन्दी कविता को उसकी समग्रता में विभिन्न कवियों के माध्यम से देखने का प्रयास किया है जिससे एक नई दृष्टि विकसित होती नजर आ रही है। तत्पश्चात जितेन्द्र श्रीवास्तव ने केदार शोध पीठ न्यास, 'उन्नयन' पत्रिका व मैनेजर पाण्डेय का आभार प्रदर्शित किया।

इन दोनों सम्मानों के पश्चात डॉ0 मैनेजर पाण्डेय द्वारा केदारनाथ अग्रवाल की चुनी हुई कविताओं का विमोचन किया गया। इस महत्वपूर्ण चयन का सम्पादन व चयन 'केदार शोध पीठ न्यास' के सचिव एवम् समकालीन हिन्दी कविता के महत्वपूर्ण कवि नरेन्द्र पुण्डरीक ने किया है। इस चयन का प्रकाशन अनामिका प्रकाशन इलाहाबाद द्वारा किया गया है। साथ ही इस अवसर पर लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी के गज़ल-संग्रह का विमोचन भी डॊ. पाण्डेय द्वारा किया गया। इसका प्रकाशन भी अनामिका प्रकाशन द्वारा किया गया है।

केदार सम्मान के अवसर पर हैदराबाद से पधारे डॉ0 ऋषभदेव शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि मेरा आने का सबसे बड़ा उद्देश्य कवि केदार की इस पावनभूमि को प्रणाम निवेदित करना था। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि केदार की कविता मानवीय संघर्षों के प्रति अखण्ड विश्वास की कविता है। केदार से हुई अपनी भेंट के संस्मरण सुनाते हुए उन्होंने बताया कि केदार बाबू आयु के जिस शिखर पर बैठे थे, उनसे चर्चा के बाद यह उभर कर आया कि उस समय वे मृत्यु के विषय में अधिक सोचते थे।जनवाद उन्हें नहीं सुहाता। डॊ. शर्मा ने बल दिया कि केदार जी की कविताओं के कुछ नए पाठ तैयार किए जाने की आवश्यकता है,जिन्हें उनके अलग अलग काल से जोड़ कर देखे जाने से कुछ नए तथ्य उद्घाटित होंगे।

केदार शोधपीठ व सम्मान समिति के निमन्त्रण पर पधारीं "विश्वम्भरा" की संस्थापक महासचिव डॉ0 कविता वाचक्नवी ने केदार के व्यक्तित्व एवम् कृतित्व पर अपना मत व्यक्त किया व उन्हें जातीय परम्परा का कवि बताया और कहा कि जातीय परम्परा में देश की धरती, धरती पर रहने वाले लोग और उन लोगों की सांस्कृतिक विरासत, मूल्य व सभ्यता आदि सभी गिने जाने चाहिएँ । यह भी रेखांकित किया कि एक या दो या दस संकलन या पुरस्कार आ जाने से कोई रचनाकार बड़ा नहीं होता है अपितु अपनी जातीय परम्परा में अपने सकारात्मक अवदान से उसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए। डॊ. वाचक्नवी ने केदार के व्यक्तित्व में निहित औदात्य की चर्चा की और उसे वह मूल तत्व बताया जिससे रचना वास्तव में कालजयी हो जाती है। केदार जी के व्यक्तित्व व कृतित्व में निहित पारदर्शिता का उन्होंने विशेष उल्लेख किया।

इस अवसर पर बोलते हुए केदार शोध पीठ के सचिव नरेन्द्र पुण्डरीक ने कहा कि केदार की कविता में चाहे केन नदी के सौन्दर्य के उद्दाम चित्र हों, वासन्ती हवा हो, गाँव का महाजन हो, बुन्देलखंड के लोग हों, पैतृक सम्पत्ति हो या मजदूर के जन्म की कविता हो , सभी कविताओं की भाव छवियाँ और सौन्दर्य बिम्ब अपनी धरती कमासिन में रहते हुए उनके मन में खचित हो चुके थे।

अध्यक्ष पद से बोलते हुए डॉ0 मैनेजर पाण्डेय ने कहा कि कविता एवम् साहित्य के क्षेत्र में सावधानी बरतना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केदार जी साहित्य के बहुत बड़े पुरोधा हैं। केदार की कविता में विविधता एवम् व्यापकता है। कविता संस्कृति का निर्माण करती है और उसका संरक्षंण करती है। केदार जी अपने क्षेत्र की प्रकृति के कवि हैं। प्रकृति का संस्कृति से गहरा रिश्ता होता है।चूंकि केदार प्रकृति के कवि हैं अत: वे संस्कृति का निर्माण करते हैं। केदार जी की कविताएँ मनुष्य को सामाजिक बनाती हैं।

आयोजन के इस सत्र में मुख्य रूप से इनके अतिरिक्त ज्योति अग्रवाल (केदार जी की बहू), लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी, द्वारकाप्रसाद मायछ (हैदराबाद), डॊ. रामगोपाल गुप्ता, योगेश श्रीवास्तव, चन्द्रपाल कश्यप, पवन कुमार सिंह, श्री अरुण निगम (चेयरमैन के.सी.एन.आई.टी.), विजय गुप्त आदि ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इस सत्र का संचालन 'वचन' पत्रिका के सम्पादक प्रकाश त्रिपाठी ने किया और आभार श्री प्रकाश मिश्र सम्पादक 'उन्नयन' एवम् विनोद शुक्ल 'अनामिका प्रकाशन, इलाहाबाद' ने किया।

आयोजन के सायंकालीन चरण में कविसम्मेलन सम्पन्न हुआ। जिसका संचालन डॉ0 अश्विनी कुमार शुक्ल ने किया । नगर पधारे साहित्यिक आगन्तुकों को विशेष रूप से केदार जी के आवास पर भी रात्रि में ले जाया गया। जीर्ण शीर्ण दशा में पड़े उस आवास व केदार जी की सामग्री आदि को देख कर सभी ने अत्यन्त चिन्ता प्रकट की व स्थानीय प्रशासन द्वारा सरकार की सहायता से इस स्थल को केदार स्मारक के रूप में विकसित करने की माँग करते हुए कहा कि शीघ्रातिशीघ्र ऐसा किया जाना अपेक्षित है।
- योगेशश्रीवास्तव
बाँदा



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